Friday, August 5, 2011

तो जिंदा हो तुम








दिलों में तुम अपनी बेताबियाँ लेके चल रहे हो
,

तो जिंदा हो तुम ।

नज़र में खाव्बों की बिजलियाँ लेके चल रहे हो,

तो जिंदा हो तुम

हवा के झोंको के जैसे आज़ाद रहना सीखो ,

तुम एक दरिया के जैसे लहरों में बहना सीखो ,

हर एक लम्हे से तुम मिलो खोले अपनी बाहें,

हर एक पल एक नया समां देखे ये निगाहें,

जो अपनी आखों में हैरानियाँ लेके चल रहे हो

तो जिंदा हो तुम ।

दिलों में तुम अपनी बेताबियाँ लेके चल रहे हो,

तो जिंदा हो तुम ।।।




जावेद अख्तर

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